"बंधन जन्मों का" भाग- 20
पिछला भाग:--
कल तो सकारे उठने पड़ है काएसे दिनंई में
बरात लगने आये... संजा तक तो बिदा सोई
कराके आ जयी हैं......
अब आगे:--
दूसरे दिन अफरा तफरी सी मची... आज तो
बरात आने है सो सब अपनी अपनी तैयारी में
लगे हैं... बरात जाने को है.....बैंड बाजे वाले
भी आ गये.....
उधर विमला के घर भी मेहमान आ चुके हैं...
कल मंडप भी हो गया खूब नाच गाना भी हुआ...
आज तो बरात आने वाली है...बाहर पंडाल सजा हुआ है... सारी व्यवस्थाएं आर्यन ही देख रहा है...
विमला की सखियां और चाची मामी सब गा बजा
रहीं हैं लड़की की शादी में बन्नी गाई जाती हैं....
बन्नी गाई जा रहीं हैं.....
आज खुशी का शुभ दिन आया,
खूब मची धूमधाम, कितने जुड़े हुए मेहमान,
आजा उनके फूले न समांए,
आजी करे इत्र पान, कितने जुड़े हुए मेहमान,
आज खुशी का दिन आया.....
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मेरी बन्नी चली सजधज के चली,
ससुराल की गली, दुल्हन बन के चली,
मेरी बन्नी चली.....
तेरी बैंदी निराली, तेरी बिंदिया अनोखी,
मेरी बन्नी के माथे पे खूब सजेगी,
मेरी बन्नी चली.....
ऐ उठो री गातयीं रे हो का बरात आ गयी....
जे बैंड बाजों की आवाजें आ रयी आंए....
चलो चलो द्वाराचार देखेंगे.....
वरमाला हो गयी,फैरे भी होने लगे....
सप्तपदी के बाद बिदाई की बेला आ गयी....
कुछ समय पश्चात पता चला छोटी बिटिया जो कालेज में पढ़ रही.... उसके रंग ढंग कुछ अलग
ही हो गये... बच्चू ने भी बताया वो एक लड़के के साथ ज्यादा दिखती है.....
आज विमला ने सोचा गुड़िया से बात करुंगी....
दो चार ऐसे ही व्यस्तता में निकल गये बात ही
नहीं कर पायी.... आज मौका मिलते ही मैंने
पूछा ... तो बोली हाँ मैं भी चाहती हूँ वो शादी
करना चाहता है मुझसे... यहाँ होस्टल में रहकर
पढ़ाई कर रहा है लास्ट ईयर है उसका....
कहाँ रहता है..? उसके घर के लोग कैसे हैं...?
सब पता होना चाहिए... अभी नोकरी भी नहीं
है उसकी......
अभी नहीं जब उसकी नोकरी लग जाएगी....
इन्दौर का रहने वाला है पापा उसके सर्विस में हैं...
वो अपने परिवार वालों को बता चुका है वो लोग
भी तैयार हैं... ठीक है अभी पढ़ाई पर ध्यान दो
पहले फिर किसी दिन उससे बात करुंगी....
रविवार को उसको बुलवाया मैंने बात करने को
पर वो आया नहीं... गुड़िया ने बताया अभी वो कालेज भी नहीं आ रहा......
क्रमशः--
कहानीकार-रजनी कटारे
जबलपुर ( म.प्र.)